भा.प्रौ.सं. मंडी के बारे में



भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी देश के आठ नए दूसरे क्रम के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में से एक है। यह हिमाचल प्रदेश में मंडी ज़िले के मंडी शहर की कमांद घाटी में स्थित एक शोध संस्थान के रूप में विकसित हुआ है।

मंडी शहर से लगभग 14 कि.मी. दूर स्थित, आईआईटी मंडी का परिसर उहल नदी के किनारे पर स्थित है, जो कमांद और सालगी के गांवों तक फैला हुआ है। ऊंचाई में महत्वपूर्ण अंतर के कारण हिमाचल प्रदेश में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों का अनुभव होता है। यहाँ की जलवायु दक्षिणी क्षेत्रों में गर्म और उपआर्द्र उष्णकटिबंधीय से लेकर उत्तरी और पूर्वी पर्वत श्रृंखलाओं में ठंडी होती है। साथ ही, अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण, इस जलवायु को ऊंचे पहाड़ों और हिमनदी तक अनुभव किया जा सकता है।

मंडी शहर की औसत ऊंचाई 1044 मीटर (3425 फीट) है और यह ब्यास नदी के तट पर स्थित है। यह शहर हिमालय के सबसे निचले जलवायु क्षेत्र में आता है। इन क्षेत्रों में तलहटी (450-900 मीटर) में आर्द्र-उप समशीतोष्ण जलवायु होती है, जबकि अधिक ऊंचाई (2400-4800 मीटर) पर बर्फबारी के साथ शुष्क-ठंडी अल्पाइन जलवायु होती है। मंडी में औसत वार्षिक वर्षा 1380 मि.मी. दर्ज की जाती है।

अपनी स्थापना के बाद से, संस्थान सक्रिय रूप से विभिन्न अनुसंधान और विकास परियोजनाओं में लगा हुआ है। इसके अतिरिक्त, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों, कंपनियों, अनुसंधान केंद्रों और संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किये हैं।

देश में तकनीकी शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2011 के अंतर्गत इस संस्थान को एक आईआईटी रूप में अस्तित्व में लाया गया है। इससे संबंधित अधिनियम को दिनांक 24 मार्च, 2011 को लोकसभा तथा दिनांक 30 अप्रैल, 2012 को राज्यसभा में पारित किया गया था।

दृष्टिकोण


तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बने रहना, ज्ञान संवर्धन तथा नवाचरण करते हुए भारत देश को एक ऐसी दिशा प्रदान करना, जिसमें न्यायप्रिय, सर्वहारा एवम् धारणीय समाज का समावेश हो।


लक्ष्य


  • व्यक्तिगत एवम् सामूहिक प्रयासों से समाज के लाभार्थ ज्ञान सृजन करना।
  • शिक्षा द्वारा ऐसे व्यवसायी तैयार करना, जो विशेषतः हिमालय क्षेत्र के विकास एवं अंततः राष्ट्र तथा मानवता के विकास में नव प्रवर्तन उत्पादों एवं प्रक्रियाओं के माध्यम से नेतृत्व कर सकें।
  • समाज एवं उद्योग की समस्याओं विशेषकर हिमालय क्षेत्र की संवेदनशील पर्यावरणीय प्रकृति के लिए शिक्षा के माध्यम से वैश्विक स्वीकृति के समाधान प्रस्तुत करने की भावना से युक्त दक्ष उद्यमी तैयार करना।
  • अगली पीढ़ी के अभियंताओं, वैज्ञानिकों एवम् शोधकर्त्ताओं को प्रेरित करने में सक्षम प्राध्यापक प्रशिक्षित करना।
  • शिक्षा और शोध के उपर्युक्त लक्ष्यों के अनुसरण में अत्याधुनिक और वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु उद्योग के साथ सक्रिय भूमिका निभाना।
  • प्रतिभा एवम् उत्कृष्टता से परिपूर्ण सम्मानजनक कार्यसंस्कृति विकसित करना।